#ज़िन्दगी_calling
दफ़्तर की मसरूफ़ियत में कभी कभी फ़ुर्सत के कुछ लम्हे मिलते हैं जो अक्सर चाय के साथ फोन पर ही बीतते हैं। दफ़्तर में मैं अक्सर फोन नहीं उठा पाता और अगर कोई जाने पहचाने नम्बर से मिस्ड कॉल हो तो इन्ही लम्हों में कॉलबैक किया करता हूँ।
ऐसे ही एक ब्रेक में चाय की पियाली के साथ फोन पर मिस्ड कॉल्स देख रहा था कि अचानक फोन बजने लगा। फोन पर मेरा ही नाम मेरे ही नम्बर के साथ उभरने लगा। ज़ाहिर है कि मैं हैरान था। फोन उठाया तो मीठी सी आवाज़ में उसने कहा, "हेलो, मैं ज़िन्दगी बोल रही हूँ, क्या मेरी बात नकुल गौतम जी से हो रही है?"
"जी कौन बोल रही हैं", मैंने सुनिश्चित करना चाहा।
"जी मैं ज़िन्दगी बोल रही हूँ ", जवाब और भी मीठी आवाज़ में था।
"जी हाँ, मैं नकुल गैतम ही बोल रहा हूँ"
"नकुल जी, क्यों कि आप लम्बे समय से हमारी सेवाएं ले रहे हैं, सो यह एक फीडबैक कॉल है। आपके पाँच मिनट लेना चाहती हूँ। क्या यह उचित समय रहेगा?"
"जी हाँ, कहिये", मैंने अपनी घड़ी को देखते हुए कहा।
"आपको बता दूँ कि आपकी सभी बातें रिकॉर्ड की जाएंगी। क्या आप इसके लिये अनुमति दे सकते हैं", उसने अनुरोध किया।
"जी बिल्कुल", मैं और भी आश्चर्य चकित हुआ।
"क्या मैं जान सकती हूँ कि आपको हमारी सेवाएं कैसी लग रही हैं"
"मैं काफी हद तक संतुष्ट हूँ", असमंजस में पड़ते हुए मैंने कहा।
"एक से पाँच के स्केल पर, जिसमें 'एक' मतलब बिल्कुल संतुष्ट नहीं और 'पाँच' मतलब बिल्कुल संतुष्ट, आप हमें गुणवत्ता में क्या स्थान देंगे"।
"यह तो दुविधा में डाल दिया आपने, आप किसी विशेष सेवा की बात करें। सभी सेवाओं को कैसे एक अंक में तौल सकते हैं", मैं उलझन में था।
"जी आप औसतन अंक दे सकते हैं; खुशी, समृद्धि, व्यवसाय, संतुष्टि, प्रेम, परिवार इत्यादि सभी को ध्यान में रखते हुए।"
"जी मैं बिल्कुल संतुष्ट हूँ, मैं पाँच अंक देना चाहूँगा", मैंने विनम्र होने की कोशिश में कहा।
"जी शुक्रिया। क्या मैं जान सकती हूँ कि आप को हमारी कौन सी सेवा सबसे अच्छी लगी", ज़िन्दगी ने अगला सवाल किया।
"यह तो बहुत कठिन है। सब सुविधाओं में एक को चुनना बहुत कठिन है, मैंने सोचते हुए कहा।
"जी खुशी, प्रेम, क्रोध इत्यादि संवेदनाएं, परिवार, प्रकृति जैसी सुविधाएं, बदलते मौसम, अनेकों रंग, हज़ारों तारे, अगणित स्वाद इत्यादि बहुत सी चीज़ों में से सबसे उपयोगी आप किसे मानते हैं?"
"प्रेम और परिवार", मैंने गहरी साँस लेकर कहा।
"जी शुक्रिया, आप को हमारी कौन सी सुविधा या किस सेवा से सबसे अधिक शिकायत रही है", अगला प्रश्न और उलझन भरा था।
"जैसे..." मैंने विकल्पों की जिज्ञासा में पूछा।
" जैसे कष्ट, विछोह, परेशानियाँ, अपराध, सामाजिक दबाव, दर्द इत्यादि"
"जी इनमें से ऐसा कुछ नहीं जिससे मुझे शिकायत हो। ये सब तो जीवन को रोमांचक बनाते हैं। अगर मुझे शिकायत है तो सिर्फ इस बात से कि मुझे मेरी मेहनत के अनुसार फल नहीं मिलता", मैंने बहुत सोच विचार के बाद कहा।
"जी शुक्रिया, आपकी मेहनत का फल आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है।"
"क्या आप अपने प्रियजनों को हमारी सेवाओं का लाभ उठाने की सलाह देंगे", अगला प्रश्न था।
"जी वे सब तो आपकी सेवाएं ले ही रहे हैं। इस प्रश्न का क्या औचित्य है", मैं असमंजस में था।
"जी हमारे कैटालॉग के अनुसार यही अगला प्रश्न है। क्या आप उन्हें फिर से हमारी सेवाओं की सलाह देंगे"।
"जी बिल्कुल। जीवन बहुत खूबसूरत है। अगर यह नहीं होता तो हम इस पर चर्चा ही कैसे करते। जैसा कि किसी विद्वान ने कहा है, ज़िन्दगी में सबसे महत्वपूर्ण ज़िन्दगी ही तो है", मैंने उत्साहित होकर कहा।
"क्या आप कोई प्रश्न करना चाहते हैं", अगला प्रश्न था।
"जी, मैं कौन हूँ, परम सत्य क्या है", मैंने पूछा।
"जी इस प्रश्न का उत्तर देने की हमें अनुमति नहीं। इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना आपका उत्तरदायित्व है", उत्तर मिला।
"तो यह बता दीजिये कि मृत्यु के बाद क्या होता है", मैंने प्रश्न किया।
"जी मृत्यु भी जीवन का ही भाग है", उत्तर मिला।
"मतलब, कृपया विस्तार से बताइये", मैंने फिर प्रश्न किया।
"जी मुझे एक ही प्रश्न का उत्तर देने की अनुमति है। लेकिन क्योंकि आप हमारे लकी कस्टमर हैं, आपको इसका उत्तर मृत्यु के ठीक पहले मिल जाएगा"
"लकी कस्टमर? ऐसा क्यों", मैं ने खुश होकर पूछा।
"जी, हमारे सभी कस्टमर लकी हैं। आपको जीवन मिला यह आपकी खुशनसीब है", बहुत ही मीठी आवाज़ में उत्तर मिला।
"जी शुक्रिया। मैं समझ गया", मैंने संतुष्ट होते हुए कहा।
"जी आपकी इस बातचीत को हमने रिकॉर्ड किया है। यदि आप इस के कुछ अंश अपनी फ़ेसबुक वॉल पर शेयर करेंगे तो हमारी तरफ से आपको कैश बैक दिया जाएगा", आवाज़ और मीठी हो गयी।
"कैश बैक? वह कैसे" मैंने पूछा।
"जी आपके मित्र इसे पढ़ेंगे और इसे लाइक, शेयर करेंगे। आप मुस्कुरायेंगे। मुस्कुराहटें जीवन का सबसे कीमती उपहार हैं। आप मुस्कुराहटें बांटिए आपको भी मिलेंगीं", उत्तर मिला।
"जी बहुत बहुत शुक्रिया, आप से बात करके अच्छा लगा", मैंने हँसते हुए कहा।
"जी हमें भी। अपना कीमती समय देने के लिए शुक्रिया। आपका दिन शुभ हो", कहते हुए फोन कट गया।
मैंने चाय का पियाला रक्खा और टाइप करने बैठ गया।
नकुल गौतम